इंतज़ार की घड़ी खत्म होने को है
प्यार की बारिश में दिल खिल उठा है
अब तो वस्ल की बात होने को है
प्रेम अपना सच्चा है,ये कोई व्यापार नहीं
इम्तहानों के हौसले अब पस्त हो चले हैं
उम्मीदों के दिए से रोशन होने लगी हैं राहें
खुशियां पुकार रहीं हैं मुझको फैलाकर बाहें
जिंदगी के सफर में अकेले चल लिए बहुत
अब कोई हमसफ़र साथ होने को है
✍️ निरूपा कुमारी
स्वरचित
©Nirupa Kumari
#WoSadak
#barish
#Wasl
#humsafar