मुक़ददर इस तरह फूटे पराये अपने सब रूठे..
मग़र हारे कभी ना हम ना ही रत्ती भर हम टूटे..
रहीं सब कोशिशेँ जारी उम्र मेहनत में गुज़ारी..
हुआ एक छेद नाव में मग़र फ़िर भी नहीं डूबे..
हमारे सच को दुनिया ने फ़रेब यारों कह डाला
वो झूठा कहते हमको है वो जो हैं ख़ुद बड़े झूठे..
भरोसा करके उन पर हम बहुत ही यारों पछताए..
लुटा कुछ इस तरह उसने कोई किसी को ना लूटे..
©Akhilesh dubey
#KhoyaMan