कुछ अश्क़ के कतरे हैं कुछ उलझी हुई साँसें हैं इन | हिंदी Shayari Vide
" कुछ अश्क़ के कतरे हैं कुछ उलझी हुई साँसें हैं
इन पन्नों पर उतारे हमने यूँ हीं चंद आसें हैं
चाहत मुकम्मल है अधूरी इश्क़ की कहानी है
अब फ़क़त मेरे पास मेरे महबूब की निशानी है"
कुछ अश्क़ के कतरे हैं कुछ उलझी हुई साँसें हैं
इन पन्नों पर उतारे हमने यूँ हीं चंद आसें हैं
चाहत मुकम्मल है अधूरी इश्क़ की कहानी है
अब फ़क़त मेरे पास मेरे महबूब की निशानी है