रेशा
यादों के हवाले से,
एक रेशा सम्भाल रक्खा था।
जिन यादों ने दीं बेतहाशा चीखें,
उन्हें यूँ ही टाल रक्खा था।
आज फ़िर कुरेदा है,
ज़ख्म अपना।
देखो! खून रिस रहा है।
उन्हीं यादों का रेशा,
जो सम्भाल रक्खा था ।
अब बेहद चुभ रहा है। 💔
©“Midnighter”
रेशा
Midnighter