White अभी भी मैदान में है. अब हार क्या.जीत क्या
तिज़ोरी में सब महफूज़ है.मन क्या मनमीत क्या
रुकना जाना या..चलते रहना.खुद के जिम्मे हैं
जुनूँ से जब राह है रौशन.सूर्योदय क्या.सूर्यास्त क्या
अश्रुओं को थामे रखना यूँ आसां तो ना होगा
पहचानना जब मुश्किल हो.ज़ख्म क्या.मरहम क्या
ना वक़्त को ही रोक सका वो ...ना ही उसे
मौसम एक सा है अब, बहारों का.आना क्या.जाना क्या
राख को ग़ौर से जो देखा तो ये एहसास हुआ
मंज़िल सबकी एक है..ज़मीं क्या.आसमां क्या
रंगों से शायद उभर ही जाये कोई तस्वीर
ख़्वाब महकते रहे हमेशा, दिन क्या रात क्या
@विकास
©Vikas sharma
#hindi_poem_appreciation ishq h kya