दिल लगाएँ कहीं और इतनी जुर्रत कहाँ दिल तो खुद का | हिंदी शायरी

"दिल लगाएँ कहीं और इतनी जुर्रत कहाँ दिल तो खुद का नहीं है आपसे फुर्सत कहाँ"

 दिल लगाएँ कहीं और 
इतनी जुर्रत कहाँ
दिल तो खुद का नहीं है
आपसे फुर्सत कहाँ

दिल लगाएँ कहीं और इतनी जुर्रत कहाँ दिल तो खुद का नहीं है आपसे फुर्सत कहाँ

Dil lagaye kahi aur
Itni jurrat kaha
Dil to khud ka nhi h
Apse fursat kaha

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