सपने जो ना हुए कभी अपने
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सजते हैं कुछ सपने ऐसे, इन आंखों में मेरे
चले आ रहे हो कहीं से,तुम जानिबे यार मेरे...
तरस गई है ये नजर जाने कब से दीदार को तेरे
दिल बन गया है पत्थर,इक बार देख तो जा हाल मेरे...
मनाते मनाते अब थक सी गई हूं मेरे हमसफ़र
अब खुद को ही मना लिया है मैंने मेरे हमसफ़र
यादों की सलवटों से अटी पड़ी हैं ख्यालात मेरे
परत दर परत खुलती जाती है बिखरे जज्बात मेरे
वाकिफ तेरे सच से हम भी हैं मगर करे तो करें क्या
जाता ही नहीं दर्द इस दिल का,अब करे तो करें क्या
©Abha Thakur
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