मै अकेला हूं इन वादियों में
पर्वतों से आती हवाओ से खेलता हूं।
धुन्द से लिपटी सफेद चादर से
अपनी किस्मत के रंग को अक्सर ढक देता हूं।।
मेरी बात उससे निरन्तर होती है,
जबकि वह कभी बादलों में और कभी क्षितिज के पार होती है।
मैं जानता हू कि वह मुझसे बहुत दूर है,
पर यह नहीं जानता कि वह हमेशा मेरे दिल के इतने करीब होती है।।
©Adv Virendra Tomar
#2023Recap