तेज धारा से बहती नदी हूं अपना रास्ता
बनाना आता है मुझे,
हां! सूख जाती हूं तेज धूप की तपिश में,
ज़िद्दी हूं बादल बनकर बरसना आता है मुझे।
©||स्वयं लेखन||
तेज धारा से बहती नदी हूं अपना रास्ता
बनाना आता है मुझे,
हां! सूख जाती हूं तेज धूप की तपिश में,
ज़िद्दी हूं बादल बनकर बरसना आता है मुझे।
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