ऐ गमछा तो बुन्देलखंड में सदियों से
प्रसिद्ध है
हमारे दादा परदादा 12 हाथ का गमछा से
सिर बाध ते थे
भाई साहब हमारे यहाँ
गमछा को हमेशा सिर में बाँधते है
मौका आने पर
ओढ़ते और बिछाते हैं
इसे हमेशा गले में डालकर चलते है
बाहर जाने पर पिता जी कहते है
अरे बेटा -
सुआपी से मौह तो बाँद ले (बुन्देली लोकभाषा )
और बेटा कहता हैं -
हऔ दद्दा ( हाँ पिता जी )
हम इस बात की घमंड में है
कि हमारा घर बुन्देलखंड में है।
कवि - सरस कुमार
#गमछा