हाँ मै अपनी बात को सलीके से बयां नही कर पाता।
इसका ये मतलब बिलकुल भी नही है कि मुझे प्यार करना नही आता।।
तेरी मोहब्बत का कायल हूँ, आवारा ना समझना।
तेरी सोहबत मे जीना पसंद है, तो बेचारा ना समझना।।
हाँ मुझसे मोहब्बत बयान करी नही जाती।
लेकिन तेरी मोहब्बत से निकली कोई बात टालि भी नही जाती।।
रहा साथ जिंदगी भर का तो ये जिंदगी बन जाएगी।
नही तो ये जिंदगी ही मुझ पर भारी पढ़ जाएगी।।
तेरी निगाहे बहुत कुछ कहती हैं।
तेरी तरस्वीर मुझे यूँ ही मोहब्बत से देखती रहती है।।
तेरी जिंदगी पर मेरा कोई ज़ियाति हक तो नही है।
पर क्या करूँ मेरी ज़िंदगी तेरे इर्द गिर्द ही रहती है।।
मोहब्बत करना मैने तुझसे ही सीखा है।
इसलिए ये मोहब्बत किसी और से होती ही नही है।।
दीक्षा साह