किसी पे रहने के लिए छत नहीं
किसी के पास आशियाना है
कोई अपना पेट भर ले काफी है
और किसी को दूसरे का भी
छीन के खाना है
कोई छोटे से घर में खुश है
किसी को 'महल' बनाना है
कोई जिंदगी का हर पल
खुलकर जीता है
किसी को छोटी-छोटी बात
पर भी मुंह फुलाना है
किसी को पीट पीछे बुराई करनी है
सामने ख़ुद को अच्छा दिखाना है
कोई अपने काम में मग्न है
उसे किसी बात का फर्क नहीं पड़ता
वो अपना ही धुन का दीवाना है
आलम ये है जिंदगी का
किसी के लिए ये 'दर्द' है
किसी के लिए प्यार है
मुश्किलें तो आती जाती है
जो खुलकर जिये हर एक पल को
वो ही जीवन के
'रंगमंच' का कलाकार है !
जीवन का रंगमंच
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