।। अखण्ड।।
मेरा रहा जब राष्ट्र अखंड
विश्व में था छाया इसका प्रचंड
ईरानी आक्रांता सर्वप्रथम यहां आए
अपनो को समझा, अपने बनाए
फिर जाकर यहां लूट मचाएं ।।
मां भारती का श्रृंगार भी नावों में
विदेशों की ओर बहता रहा
यहां का हर नागरिक हर वाशी
"पधारो म्हारे देश" कहता रहा ।।
रोजगार अपना छीन लिया
कर हम पर अनेक लगाए गए
हो सके उनका व्यापार, इसके खातिर
उन से अंगूठे भी अपने कटवाए गए ।।
अब हम अपने उस चरखे की
कला पुरानी वो भूल गए
उन से अपना देश बचाने हेतु
क्रांतिकारी फांसी से झूला झूल गए ।।
लगभग हर नागरिक यहां का
गोरों से बार - बार दंडित हुआ
लड़ते - लड़ते गोरों से अब
मेरा अंखड़ राष्ट्र खंडित हुआ ।।
©Deepak Hindustani
।। अखण्ड।।
मेरा रहा जब राष्ट्र अखंड
विश्व में था छाया इसका प्रचंड
ईरानी आक्रांता सर्वप्रथम यहां आए
अपनो को समझा, अपने बनाए
फिर जाकर यहां लूट मचाएं ।।