सपनो के सफर में चलें हम सफर खो गए। फूलों के बाग मे देखा तितलियों और मधुमक्खियों से भरा।। असमंजस में था! मैं देख नजारा कलियों पर भँवरा गूंज रहा। सोचा तलाश करू नया शहर जहां। रास्ते में मिलें जगनूओ सा मंजर।। सपनो के सफर में चलें हम सफर खो गए। यूं तो अंजान थे, इन रास्तों से । दूरियों की परवाह किए बिना आगे बढ़ गए।। कई अंधेरा आया, मगर उजालों ने उसे मिटा दिए। सपनो के सफर में चलें हम सफर खो गए। अनेकों रास्ते थे ! इस सफर में,खींच लिया अपनो ने मुझे। यूं तो लगा अनेकों चाहने वाले हैं, मगर अनदेखा शहर में बेफिक्र हो गए।। सपनो के सफर में चलें हम सफर खो गए। हूं सीख चुका इस पग में मैने कई बातें याद है,कई भुला गए। दौलत, शौहरत बहोत मिला मुझे। सपनो के सफर में चलें हम सफर खो गए।
©ABHISHEK RANJAN
#chai