सन्नाटा है पसरा यहाँ, कोई ना आता जाता है,
माँ की ममता सूनी बैठी, आँगन खाने को आता है,
शोरगुल था कभी जहाँ, अब वीराना नजर आता है,
बूढ़े माता पिता से मिलने, कौन काम छोड़ निभाता है।
तिनका तिनका समेट कर, जिन्हें जीवन सजाना आता है,
फ़िर क्यूं बगिया सूनी को थामे, दिल बहलाया जाता है,
बैठे रहते यादों को ओढ़े, हर मौसम बिताना आता है,
भूल गए जो जाकर यहां से, उन्हें कहाँ ये सब भाता है।
#माँ_बाप