ज़ब ज़ब उलझें समझ के धागे तब तब तुम हिंदी हो | हिंदी शायरी

"ज़ब ज़ब उलझें समझ के धागे तब तब तुम हिंदी हो जाना रहे जिसके बिन शब्द अपूर्ण तुम मेरे शब्दों की वो बिंदी हो जाना (P S) ©Pratibha Singh"

 ज़ब   ज़ब उलझें 
समझ के धागे 

  तब तब तुम 
हिंदी हो जाना 

 रहे जिसके बिन
 शब्द   अपूर्ण 

  तुम मेरे शब्दों की वो 
बिंदी हो जाना


(P S)

©Pratibha Singh

ज़ब ज़ब उलझें समझ के धागे तब तब तुम हिंदी हो जाना रहे जिसके बिन शब्द अपूर्ण तुम मेरे शब्दों की वो बिंदी हो जाना (P S) ©Pratibha Singh

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