बचपन और शैतानी ❣️❣️ बचपन पर मेरे द्वारा लिखी गई नज | हिंदी शायरी

"बचपन और शैतानी ❣️❣️ बचपन पर मेरे द्वारा लिखी गई नज़्म ❣️❣️ कभी बहुत मिठास भरा कभी रूठता वो मन देखा। सपनों में मैंने भी आज बचपन देखा....... कोई फिक्र नहीं थी उस पल इस पागल सर में घुसे ना जाने कौन डगर में, निकले कौन डगर में हर वक्त सर पे सवार खेल का वो पागलपन देखा सपनों में मैंने भी आज बचपन देखा........ कभी खिलौनों में बीता दिन, कभी दोस्तों के संग थे अब वो है हीं नहीं जो तब के खुशहाल रंग थे काम बिगड़ जाने पर, मैंने खुद का भोलापन देखा सपनों में मैंने भी आज बचपन देखा.......... ©नितीश निसार"

 बचपन और शैतानी ❣️❣️ बचपन पर मेरे द्वारा लिखी गई नज़्म ❣️❣️

कभी बहुत मिठास भरा कभी रूठता वो मन देखा।
सपनों में मैंने भी आज बचपन देखा.......
कोई फिक्र नहीं थी उस पल इस पागल सर में
घुसे ना जाने कौन डगर में, निकले कौन डगर में
हर वक्त सर पे सवार खेल का वो पागलपन देखा
सपनों में मैंने भी आज बचपन देखा........
कभी खिलौनों में बीता दिन, कभी दोस्तों के संग थे
अब वो है हीं नहीं जो तब के खुशहाल रंग थे
काम बिगड़ जाने पर, मैंने खुद का भोलापन देखा
सपनों में मैंने भी आज बचपन देखा..........

©नितीश निसार

बचपन और शैतानी ❣️❣️ बचपन पर मेरे द्वारा लिखी गई नज़्म ❣️❣️ कभी बहुत मिठास भरा कभी रूठता वो मन देखा। सपनों में मैंने भी आज बचपन देखा....... कोई फिक्र नहीं थी उस पल इस पागल सर में घुसे ना जाने कौन डगर में, निकले कौन डगर में हर वक्त सर पे सवार खेल का वो पागलपन देखा सपनों में मैंने भी आज बचपन देखा........ कभी खिलौनों में बीता दिन, कभी दोस्तों के संग थे अब वो है हीं नहीं जो तब के खुशहाल रंग थे काम बिगड़ जाने पर, मैंने खुद का भोलापन देखा सपनों में मैंने भी आज बचपन देखा.......... ©नितीश निसार

#bachpan

People who shared love close

More like this

Trending Topic