I regret कविता शीर्षक- मुझे प्यार करना उसने सिखा द | हिंदी कविता

"I regret कविता शीर्षक- मुझे प्यार करना उसने सिखा दिया। मुझे प्यार करना उसने सिखा दिया। दौलत की चाह में, अपनी आंखो के सूरमा बना लिया। हम निकल नहीं पाए, प्रेम के महा जाल में। जला कर ख़ाक कर दिया मुझे, नया साल में। पहले मीठी शब्दों में मुझे फुसलाया अपनी बातों में। फिर प्यार किया हमसे और कत्ल कर दिया, मेरे प्यार को रातों में। नहीं समझ सके हम, उनकी मजबूरी को कुछ सोचकर। हम अच्छे जानकार उसे कुछ दिन बातें किए मुस्काकर। फिर क्या हुआ, मेरे साथ धोखा हुआ वफाओं के मोड़ पर। अलग हो गई मुझसे हम दे न सके दौलत, वो चली गई मुंह मोड़ कर। गुमनाम था उसका, चेहरा मासूम था मेरे नजर से। ऐसा वफा करेगी मुझसे, मै कभी सोचा न था उनकी नज़र से। हम राह देखें उनकी जमीं और आसमां से पूछे उसके बारे में। वो कुछ नज़र नहीं आई उनको भी, मेरे गमों के किनारों में। मै काफी दिनों तक सोचता रहा, क्यूं की मुझसे बेवफ़ाई। अगर जुदा ही होना था हम दोनों के बीच में, क्यों बनी हरजाई। अब मन कमजोर हुआ मेरा, सूखी टहनी की तरह। कोई इजाजत नहीं है उसे अपनाने को दिल से मुझे, लैला मजनू की तरह। हम प्यासे थे उसके प्यार की धारा में, प्यार कम जहर ज्यादा मिला। जो ख्वाब देखते थे कभी- कभी किसी बारे में, वो मिली तो दे गई सिला।। लेखक/कवि- मनोज कुमार उत्तर प्रदेश गोंडा जिला। ©manoj kumar"

 I regret कविता शीर्षक- मुझे प्यार करना उसने सिखा दिया।


मुझे प्यार करना उसने सिखा दिया।
दौलत की चाह में, अपनी आंखो के सूरमा बना लिया।
हम निकल नहीं पाए, प्रेम के महा जाल में।
जला कर ख़ाक कर दिया मुझे, नया साल में।


पहले मीठी शब्दों में मुझे फुसलाया अपनी बातों में।
फिर प्यार किया हमसे और कत्ल कर दिया, मेरे प्यार को रातों में।
नहीं समझ सके हम, उनकी मजबूरी को कुछ सोचकर।
हम अच्छे जानकार उसे कुछ दिन बातें किए मुस्काकर।



फिर क्या हुआ, मेरे साथ धोखा हुआ वफाओं के मोड़ पर।
अलग हो गई मुझसे हम दे न सके दौलत, वो चली गई मुंह मोड़ कर।
गुमनाम था उसका, चेहरा मासूम था मेरे नजर से।
ऐसा वफा करेगी मुझसे, मै कभी सोचा न था उनकी नज़र से।



हम राह देखें उनकी जमीं और आसमां से पूछे उसके बारे में।
वो कुछ नज़र नहीं आई उनको भी, मेरे गमों के किनारों में।
मै काफी दिनों तक सोचता रहा, क्यूं की मुझसे बेवफ़ाई।
अगर जुदा ही होना था हम दोनों के बीच में, क्यों बनी हरजाई।



अब मन कमजोर हुआ मेरा, सूखी टहनी की तरह।
कोई इजाजत नहीं है उसे अपनाने को दिल से मुझे, लैला मजनू की तरह।
हम प्यासे थे उसके प्यार की धारा में, प्यार कम जहर ज्यादा मिला।
जो ख्वाब देखते थे कभी- कभी किसी बारे में, वो मिली तो दे गई सिला।।



लेखक/कवि- मनोज कुमार
उत्तर प्रदेश गोंडा जिला।

©manoj kumar

I regret कविता शीर्षक- मुझे प्यार करना उसने सिखा दिया। मुझे प्यार करना उसने सिखा दिया। दौलत की चाह में, अपनी आंखो के सूरमा बना लिया। हम निकल नहीं पाए, प्रेम के महा जाल में। जला कर ख़ाक कर दिया मुझे, नया साल में। पहले मीठी शब्दों में मुझे फुसलाया अपनी बातों में। फिर प्यार किया हमसे और कत्ल कर दिया, मेरे प्यार को रातों में। नहीं समझ सके हम, उनकी मजबूरी को कुछ सोचकर। हम अच्छे जानकार उसे कुछ दिन बातें किए मुस्काकर। फिर क्या हुआ, मेरे साथ धोखा हुआ वफाओं के मोड़ पर। अलग हो गई मुझसे हम दे न सके दौलत, वो चली गई मुंह मोड़ कर। गुमनाम था उसका, चेहरा मासूम था मेरे नजर से। ऐसा वफा करेगी मुझसे, मै कभी सोचा न था उनकी नज़र से। हम राह देखें उनकी जमीं और आसमां से पूछे उसके बारे में। वो कुछ नज़र नहीं आई उनको भी, मेरे गमों के किनारों में। मै काफी दिनों तक सोचता रहा, क्यूं की मुझसे बेवफ़ाई। अगर जुदा ही होना था हम दोनों के बीच में, क्यों बनी हरजाई। अब मन कमजोर हुआ मेरा, सूखी टहनी की तरह। कोई इजाजत नहीं है उसे अपनाने को दिल से मुझे, लैला मजनू की तरह। हम प्यासे थे उसके प्यार की धारा में, प्यार कम जहर ज्यादा मिला। जो ख्वाब देखते थे कभी- कभी किसी बारे में, वो मिली तो दे गई सिला।। लेखक/कवि- मनोज कुमार उत्तर प्रदेश गोंडा जिला। ©manoj kumar

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