बहुत रोए है हम तेरे बिना एक बार आकर हंसा दो ना!
अपने हाथों से खिलाई है तु बचपन से मुझे अब कोई इतना प्यार दे ऐसा कोई मीला नही,वर्षों बीत गये तेरे हाथो से खाए हुए सुन एक बार मां बनकर खिला दो ना!
तुने ममता की मुरत बनकर अपने आचंल की छाया में पाला है मुझे बस एक बार अपने सीने से लगा लो ना!
इस जमाने के साथ बहुत मुस्कुरा लिए पर तकलीफों में अकेले कमरे में बंद होकर रोए है बहुत, तु अपने पल्लू से मेरे आसूं पोछ दो ना!
इस घर में तु नही है, चली जाउंगी अब तेरा घर छोड़कर एक बार आकर मुझे रोक लो ना!
हर दर्द, गम, खुशी में मैने तेरे परिवार का साथ दिया , तेरे बीना घर सुना सा लगता है तु आकर अनसुना कर दो ना!
पुरे परिवार को नाना संभाल कर रखते हैं उनकी खुशी के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं, खुद का दर्द किसी को बताते नहीं ,बहुत अकेले हो गये नाना एक बार उनके हमदम बनकर उनके तकलीफों को बांट लो ना!
__ गुड़िया
©Deepshikha DEEPTI ROMANIA