अरसा बीता तुमसे अपनी बात कहे, खामोशी में ढलता, चुप | हिंदी Poetry Vide

"अरसा बीता तुमसे अपनी बात कहे, खामोशी में ढलता, चुप्पी यू ही चुपके से कुछ अपने अल्फ़ाज़ कहे नासाज सा यह अरमान भी, कितने फ़सानो के बात कहे, अरसा बीता तुमसे अपनी बात कहे। मन की तरह चालाकियां दिल को कहाँ आती है, छुपे जज़्बात अंधेरों में, लड़खड़ाते यूँ टटोलते तुम्हारी ना-मौजूदगी में, जैसे अभी भी तुम मौजूद हो, किसी खालीपन में, किसी सिलवटों की आड़ लिए, अरसा बीता तुमसे अपनी बात कहे। ©Prashant Roy "

अरसा बीता तुमसे अपनी बात कहे, खामोशी में ढलता, चुप्पी यू ही चुपके से कुछ अपने अल्फ़ाज़ कहे नासाज सा यह अरमान भी, कितने फ़सानो के बात कहे, अरसा बीता तुमसे अपनी बात कहे। मन की तरह चालाकियां दिल को कहाँ आती है, छुपे जज़्बात अंधेरों में, लड़खड़ाते यूँ टटोलते तुम्हारी ना-मौजूदगी में, जैसे अभी भी तुम मौजूद हो, किसी खालीपन में, किसी सिलवटों की आड़ लिए, अरसा बीता तुमसे अपनी बात कहे। ©Prashant Roy

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