तुम और बातें लब चाहो तो बंद रखना, बस हाथ थाम लेना,
और अपनी छुअन से ही, भीतर के सारे राज़ कहना,
दिलकश गर जज़्बात हो, मेरे हाथ पे बस सहला देना, मैं समझ वो बात लूंगा,
और यदि गुस्ताखी हो कोई मेरी, बस अपना हाथ हल्का छोड़ देना, मैं तुम्हें फिर थाम थाम लूंगा।