इस जगत को जिसने जैसे देखा, उसके लिए ये वैसा है! पर | हिंदी Poetry

"इस जगत को जिसने जैसे देखा, उसके लिए ये वैसा है! पर उम्र तजुर्बे की ये कहती, जगत में सब कुछ पैसा है! दफ्तर के बाबू की लाइन से हो, बाबा की मजार तक चलता हर जगह पैसा है! मंदिर में प्रभु के दर्शन हो, चाहे शादी में झूठा प्रदर्शन हो, चलता हर जगह पैसा है! शादी में दूल्हे वाला हो, विद्यालय हो, पाठशाला हो, चलता हर जगह पैसा है! अदालत में बात बदलनी हो, झूठे की वक़ालत करनी हो, चलता हर जगह पैसा है! दरोगा जी का थाना हो, चाहे सीधे को बहकाना हो चलता हर जगह पैसा है! नेता का कार्यालय हो, चाहे जज का न्यायालय हो चलता हर जगह पैसा है! डॉक्टर का औषधालय हो, चाहे चर्च और शिवालय हो चलता हर जगह पैसा है! इस जगत को जिसने जैसे देखा उसके लिए ये वैसा है! पर उम्र तजुर्बे की ये कहती, जगत में सब कुछ पैसा है! -------------------------------------------- एक प्रयास अपने टूटे फूटे शब्दों से पैसे की महत्ता की व्याख्या करने का ©Mahendra Dwivedi"

 इस जगत को जिसने जैसे देखा, उसके लिए ये वैसा है!
पर उम्र तजुर्बे की ये कहती, जगत में सब कुछ पैसा है!

दफ्तर के बाबू की लाइन से हो, बाबा की मजार तक 
चलता हर जगह पैसा है! 
मंदिर में प्रभु के दर्शन हो, चाहे शादी में झूठा प्रदर्शन हो, 
चलता हर जगह पैसा है! 
शादी में दूल्हे वाला हो, विद्यालय हो, पाठशाला हो, 
चलता हर जगह पैसा है! 
अदालत में बात बदलनी हो, झूठे की वक़ालत करनी हो, 
चलता हर जगह पैसा है! 
दरोगा जी का थाना हो, चाहे सीधे को बहकाना हो 
चलता हर जगह पैसा है! 
नेता का कार्यालय हो, चाहे जज का न्यायालय हो
चलता हर जगह पैसा है! 
डॉक्टर का औषधालय हो, चाहे चर्च और शिवालय हो 
चलता हर जगह पैसा है! 

इस जगत को जिसने जैसे देखा उसके लिए ये वैसा है!
पर उम्र तजुर्बे की ये कहती, जगत में सब कुछ पैसा है!

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एक प्रयास अपने टूटे फूटे शब्दों से पैसे की महत्ता की व्याख्या करने का

©Mahendra Dwivedi

इस जगत को जिसने जैसे देखा, उसके लिए ये वैसा है! पर उम्र तजुर्बे की ये कहती, जगत में सब कुछ पैसा है! दफ्तर के बाबू की लाइन से हो, बाबा की मजार तक चलता हर जगह पैसा है! मंदिर में प्रभु के दर्शन हो, चाहे शादी में झूठा प्रदर्शन हो, चलता हर जगह पैसा है! शादी में दूल्हे वाला हो, विद्यालय हो, पाठशाला हो, चलता हर जगह पैसा है! अदालत में बात बदलनी हो, झूठे की वक़ालत करनी हो, चलता हर जगह पैसा है! दरोगा जी का थाना हो, चाहे सीधे को बहकाना हो चलता हर जगह पैसा है! नेता का कार्यालय हो, चाहे जज का न्यायालय हो चलता हर जगह पैसा है! डॉक्टर का औषधालय हो, चाहे चर्च और शिवालय हो चलता हर जगह पैसा है! इस जगत को जिसने जैसे देखा उसके लिए ये वैसा है! पर उम्र तजुर्बे की ये कहती, जगत में सब कुछ पैसा है! -------------------------------------------- एक प्रयास अपने टूटे फूटे शब्दों से पैसे की महत्ता की व्याख्या करने का ©Mahendra Dwivedi

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