Unsplash ये साल ना बहोत रंगीन रहा, क्योंकि
बहुत लोगो ने अपने रंग दिखाए भी।
एक पुराने मित्र रहे हमारे उनसे चार साल बाद इस साल फिर से बात हुए।
इतने खुश थे बात करके उनसे की दोस्तों को चाय पिलाने ले गए, बताईए
पर उन्होंने इस बात का एहसास करवाया कि " संसार में स्नेह खोजते आदमी से बुरा कुछ भी नहीं ।" और अब ये लगता है कि इन व्यक्तियों को हम जानते हैं ये कैसे भूला जाय। ये साल कुछ सिखाने ही आया था ये तो साल की शुरुआत में ही समज आ गया था, पर इतना कुछ सिखा देगा ये नहीं पता था। खैर खाहिशें भी गुजर गई, मलाल भी गुजर गया गुजरते गुजरते ये साल भी गुजर गया!
©Saumil Nagar
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