उड़ता हुआ गुबार सर-ए-राह देख कर, अंजाम हम ने इश्क़ | हिंदी शायरी Video

"उड़ता हुआ गुबार सर-ए-राह देख कर, अंजाम हम ने इश्क़ का सोचा तो रो दिए, बादल फिज़ा में आप की तस्वीर बन गए, साया कोई खयाल से गुजरा तो रो दिए। दिल्लगी थी उसे हम से मोहब्बत कब थी, महफ़िल-ए-गैर से उसको फुर्सत कब थी, कहते तो हम मोहब्बत में फना हो जाते, उसके वादों में पर वो हकीक़त ©mahi shaikh "

उड़ता हुआ गुबार सर-ए-राह देख कर, अंजाम हम ने इश्क़ का सोचा तो रो दिए, बादल फिज़ा में आप की तस्वीर बन गए, साया कोई खयाल से गुजरा तो रो दिए। दिल्लगी थी उसे हम से मोहब्बत कब थी, महफ़िल-ए-गैर से उसको फुर्सत कब थी, कहते तो हम मोहब्बत में फना हो जाते, उसके वादों में पर वो हकीक़त ©mahi shaikh

#SAD shayri

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