फूलों की याद आती है काँटों को छूने पर रिश्तों की समझ आती है फासलों पे रहने पर कुछ जज़्बात ऐसे भी होते हैं जो 😢आँखों से बयां नहीं होते वो तो महसूस होते हैं ज़ुबान से कहने पर। 💔 😢
©sanjna singh
फूलों की याद आती है काँटों को छूने पर रिश्तों की समझ आती है 😢