तेरे नाम का ऐसा चढ़ा मुझ पर खुमार है जुबां खामोश और

"तेरे नाम का ऐसा चढ़ा मुझ पर खुमार है जुबां खामोश और दिल अटखेलियां करता है।। अब मेरी कोई मेरी ख़ैर ख़बर मत लेना दिन क्या रात ख्वाबों में तेरा चेहरा दिखता है।। ख़लिश सी महसूस होती है धड़कन में जब कोई ख्वाहिश रूह में जोर करता है।। गुमराह गुमसुम व गुमनाम वाली हालत में तुझे अपना बनाने को खुदा से गुज़ारिश करता है।। मेरे चश्म-ओ-चिराग़ रहे महफूज़ ज़माने से हर्षित तुझे छुपाने की कोशिश करता है।।"

 तेरे नाम का ऐसा चढ़ा मुझ पर खुमार है
जुबां खामोश और दिल अटखेलियां करता है।।

अब मेरी कोई मेरी ख़ैर ख़बर मत लेना
दिन क्या रात ख्वाबों में तेरा चेहरा दिखता है।।

ख़लिश सी महसूस होती है धड़कन में
जब कोई ख्वाहिश रूह में जोर करता है।।

गुमराह गुमसुम व गुमनाम वाली हालत में
तुझे अपना बनाने को खुदा से गुज़ारिश करता है।।

मेरे चश्म-ओ-चिराग़ रहे महफूज़ ज़माने से
हर्षित तुझे छुपाने की कोशिश करता है।।

तेरे नाम का ऐसा चढ़ा मुझ पर खुमार है जुबां खामोश और दिल अटखेलियां करता है।। अब मेरी कोई मेरी ख़ैर ख़बर मत लेना दिन क्या रात ख्वाबों में तेरा चेहरा दिखता है।। ख़लिश सी महसूस होती है धड़कन में जब कोई ख्वाहिश रूह में जोर करता है।। गुमराह गुमसुम व गुमनाम वाली हालत में तुझे अपना बनाने को खुदा से गुज़ारिश करता है।। मेरे चश्म-ओ-चिराग़ रहे महफूज़ ज़माने से हर्षित तुझे छुपाने की कोशिश करता है।।

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