लबों को छू, मोहब्बत का पैगाम हो जाना l आँखों के आं | हिंदी शायरी

"लबों को छू, मोहब्बत का पैगाम हो जाना l आँखों के आंसू का, छलकता जाम हो जाना l सच है कि तोड़ दी कसमें, इज्जत की खातिर, मगर अखरता बहुत है, तुम्हारा किसी और के नाम हो जाना l शशि सुमन"

 लबों को छू, मोहब्बत का पैगाम हो जाना l
आँखों के आंसू का, छलकता जाम हो जाना l
सच है कि तोड़ दी कसमें, इज्जत की खातिर, 
मगर अखरता बहुत है, तुम्हारा किसी और के नाम हो जाना l

शशि सुमन

लबों को छू, मोहब्बत का पैगाम हो जाना l आँखों के आंसू का, छलकता जाम हो जाना l सच है कि तोड़ दी कसमें, इज्जत की खातिर, मगर अखरता बहुत है, तुम्हारा किसी और के नाम हो जाना l शशि सुमन

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