वाह! वाह!
शब्दों की फुलझड़ी
तालियों की
गड़गड़ाहट
महफिल में बैठे
हर जुवान पर नाम आना।
ये मकाम आसान कहां ?
कितनों को शब्दों
की छड़ी लगानी पड़ती है ।
हाथों की अंगुली दिखानी पड़ती है ।
पैरों से रौंदना पड़ता है
कितनों के अरमान
तब जाकर
हर जुवान छाना पड़ता है।
©#suman singh rajpoot
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