रंगों को घोल जैसे बनाते हम चित्र पन्ने पर
वैसे ही खुदा ने रंग दिया हो आसमान को
सुबह हो या शाम रंगो के रंगोली बनती है
सूरज की रौशनी से ये धारा सजती है
आसमान पे कुदरत का करिश्मा दिखता है
कभी निला तो कभी गहरा कला दिखता है
सुबह सवेरे प्रकृति अपनी छटा बिखेरती हैं
सूरज की रौशनी तब सतरंगी दिखती है
शाम की भी छटा बहुत ही निराली होती है
आसमान में रौशनी से रंगों की बारिश होती है
प्रकृति से हम सीखे, उसके साथ रहना
सभी के जीवन में खुशियों के रंग भरना
_azad ताहिर
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