रंगों को घोल जैसे बनाते हम चित्र पन्ने पर वैसे ही | हिंदी कविता

"रंगों को घोल जैसे बनाते हम चित्र पन्ने पर वैसे ही खुदा ने रंग दिया हो आसमान को सुबह हो या शाम रंगो के रंगोली बनती है सूरज की रौशनी से ये धारा सजती है आसमान पे कुदरत का करिश्मा दिखता है कभी निला तो कभी गहरा कला दिखता है सुबह सवेरे प्रकृति अपनी छटा बिखेरती हैं सूरज की रौशनी तब सतरंगी दिखती है शाम की भी छटा बहुत ही निराली होती है आसमान में रौशनी से रंगों की बारिश होती है प्रकृति से हम सीखे, उसके साथ रहना सभी के जीवन में खुशियों के रंग भरना _azad ताहिर"

 रंगों को घोल जैसे बनाते हम चित्र पन्ने पर
वैसे ही खुदा ने रंग दिया हो आसमान को

सुबह हो या शाम रंगो के रंगोली बनती है
सूरज  की  रौशनी  से  ये धारा  सजती है

आसमान पे कुदरत का करिश्मा दिखता है
कभी निला तो कभी गहरा कला दिखता है

सुबह सवेरे प्रकृति अपनी छटा बिखेरती हैं
सूरज की रौशनी तब  सतरंगी  दिखती  है

शाम की  भी  छटा  बहुत ही  निराली  होती है
आसमान में रौशनी से रंगों की बारिश होती है

प्रकृति से हम सीखे, उसके  साथ  रहना 
सभी के जीवन में खुशियों के रंग भरना
   
                             _azad ताहिर

रंगों को घोल जैसे बनाते हम चित्र पन्ने पर वैसे ही खुदा ने रंग दिया हो आसमान को सुबह हो या शाम रंगो के रंगोली बनती है सूरज की रौशनी से ये धारा सजती है आसमान पे कुदरत का करिश्मा दिखता है कभी निला तो कभी गहरा कला दिखता है सुबह सवेरे प्रकृति अपनी छटा बिखेरती हैं सूरज की रौशनी तब सतरंगी दिखती है शाम की भी छटा बहुत ही निराली होती है आसमान में रौशनी से रंगों की बारिश होती है प्रकृति से हम सीखे, उसके साथ रहना सभी के जीवन में खुशियों के रंग भरना _azad ताहिर

#Sunrise #SunSet

#dawn

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