कोई दिक्कत नहीं है अगर ज़िद्दी सी लगती हूँ।
मैं जिंदगी हूँ हर किसी को ऐसी ही लगती हूँ।
कभी नज़्म बनूँ चाहत में,कभी दर्द मैं ज़ख्मों का,
कभी पाँव के छालों पर मरहम बन लगती हूँ।
मैं जिंदगी हूँ हर किसी को ऐसी ही लगती हूँ।
कभी चांँद हूं अंबर पर जी भर तू मुझे देखे
कभी रात की सांसों में गर्मी से लगती हूँ।
मैं जिंदगी हूँ हर किसी को ऐसी ही लगती हूँ।
हर रोज कसौटी पर मुझे दर्द ने परखा है
हर बार सबक बनकर बनती औ सँवरती हूँ
मैं जिंदगी हूँ हर किसी को ऐसी ही लगती हूँ।
नीलम शर्मा ✍️
©Neelam Sharma
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