ज़िन्दगी है जब तक ,नए ज़ख्म तो मिलते रहेंगे, के कुछ | हिंदी कविता

"ज़िन्दगी है जब तक ,नए ज़ख्म तो मिलते रहेंगे, के कुछ पुराने दर्द अभी बाकी है। दिल का दर्द सुन लेते हैं कुछ लोग आज भी, के शहर में दोस्त पुराने कुछ बाकी है। रुक गई थी लब पर एक बात आते -आते, लगता है कयामत का दिन आना अभी बाकी है। रोज़ खुद से ही अनबन होती है मेरी, के तुझे भुलाना अभी बाकी है। उम्र गुज़र जाती है 'लोग क्या कहेंगे' ये सोचने में अब ज़माने को भूल ,अपने लिए जीना अभी बाक़ी है। ©swati singh bhadauria"

 ज़िन्दगी है जब तक ,नए ज़ख्म तो मिलते रहेंगे,
के कुछ पुराने दर्द अभी बाकी है। 

दिल का दर्द सुन लेते हैं कुछ लोग आज भी,
के शहर में दोस्त पुराने कुछ बाकी है। 

रुक गई थी लब पर एक बात आते -आते,
लगता है कयामत का दिन आना अभी बाकी है। 

रोज़ खुद से ही अनबन होती है मेरी,
के तुझे भुलाना अभी बाकी है। 

उम्र गुज़र जाती है 'लोग क्या कहेंगे' ये सोचने में
अब ज़माने को भूल ,अपने लिए जीना अभी बाक़ी है।

©swati singh bhadauria

ज़िन्दगी है जब तक ,नए ज़ख्म तो मिलते रहेंगे, के कुछ पुराने दर्द अभी बाकी है। दिल का दर्द सुन लेते हैं कुछ लोग आज भी, के शहर में दोस्त पुराने कुछ बाकी है। रुक गई थी लब पर एक बात आते -आते, लगता है कयामत का दिन आना अभी बाकी है। रोज़ खुद से ही अनबन होती है मेरी, के तुझे भुलाना अभी बाकी है। उम्र गुज़र जाती है 'लोग क्या कहेंगे' ये सोचने में अब ज़माने को भूल ,अपने लिए जीना अभी बाक़ी है। ©swati singh bhadauria

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