गमों की कश्मकश को, बांधा है पतंग की डोर से उड़ा दू | हिंदी कविता Video
"गमों की कश्मकश को, बांधा है पतंग की डोर से
उड़ा दूंगी पतंग, जब आंधी आएगी ज़ोर से
मुस्कुराएंगे बादल, जो मायूस-स्तब्ध मौन थे
और झांकेंगी पलकें, हर दिशा हर ओर से ! "
गमों की कश्मकश को, बांधा है पतंग की डोर से
उड़ा दूंगी पतंग, जब आंधी आएगी ज़ोर से
मुस्कुराएंगे बादल, जो मायूस-स्तब्ध मौन थे
और झांकेंगी पलकें, हर दिशा हर ओर से !