Kabhie Kabhie Mann Karta Hai Ki Kahin Dur Bhaag Jaaun , Kisi Naye Sheher Mein Nayi Pehchaan Ke Saath , Aisa Lagta Hai Kisi Race Mein Daud Rahi Thi , Aur Ab Thak Chuki Hoon , Kuchh Kho Gayaa Hai Mujh Mein Jisse Dhoondh Rahi Hoon , Bas Bhaag Jaaun Issh Bheed Se Itna Dur Ki Khood Se Mulaaqaat Ho Jaaye , Aur Mill Jaaun Apne Aap Se , Toh Ek Nayi Shuruwaat Ho Jaaye.
©Sai Angel Shaayari
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