मजबूरीयां देर रात तक जगाती हैं , जिम्मेदारियां स | हिंदी शायरी

"मजबूरीयां देर रात तक जगाती हैं , जिम्मेदारियां सुबह जल्दी उठा देती हैं ©R.S.Meghwal"

 मजबूरीयां देर रात तक जगाती  हैं ,

जिम्मेदारियां सुबह जल्दी उठा देती हैं

©R.S.Meghwal

मजबूरीयां देर रात तक जगाती हैं , जिम्मेदारियां सुबह जल्दी उठा देती हैं ©R.S.Meghwal

#R.S.Meghwal

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