दिल का कोई कोना हो या जमीन का एक टुकड़ा, बिन समझे | English कविता Vide

"दिल का कोई कोना हो या जमीन का एक टुकड़ा, बिन समझे उसके अपनेपन के बातों को, बिन जाने हुए, जब हम अपनी इच्छा के कोडे किसी के दिल पर चलाते हो, या किसी वीरान पड़ी जमीन पे, उसके अंदर एक आस होती है फिर से उधर आने की एक दिल की आस होती है फिर से मुस्कुरा उठने की, पर वह हमारे इच्छाओं के कूड़े से मर जाता है वह हंसता खेलता बंजर हो जाता है।-२ भावनाओं की बूंदे किसी पर यूं निसार कर दें तो बंजर सरजमी हो या दिल का टुकड़ा फिर से उभर आता है फिर से मुस्कुराता है। ©Gautam Pandey"

दिल का कोई कोना हो या जमीन का एक टुकड़ा, बिन समझे उसके अपनेपन के बातों को, बिन जाने हुए, जब हम अपनी इच्छा के कोडे किसी के दिल पर चलाते हो, या किसी वीरान पड़ी जमीन पे, उसके अंदर एक आस होती है फिर से उधर आने की एक दिल की आस होती है फिर से मुस्कुरा उठने की, पर वह हमारे इच्छाओं के कूड़े से मर जाता है वह हंसता खेलता बंजर हो जाता है।-२ भावनाओं की बूंदे किसी पर यूं निसार कर दें तो बंजर सरजमी हो या दिल का टुकड़ा फिर से उभर आता है फिर से मुस्कुराता है। ©Gautam Pandey

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Ruchika Mishra

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