राष्ट्रीय त्यौहार🇮🇳
मन में उठी व्यथा को,कैसे दूँ बिसराय,
धर्म,संस्कृति धूमिल होती,देख के हिय घबराय।
कब देश आजाद हुआ,कब था पराधीन,
कितने अत्याचार हुए हम सब पर,कितने थे आधीन।
चरण स्पर्श की सभ्यता खोते,अभिवादन करना भूल गए,
उनको ये भी याद नहीं, कि कितने फाँसी झूल गए।
नहीं बताते अभिभावक भी,अपने देश की संस्कृति के बारे में,
भावी पीढ़ी कैसे सीखेगी,अपने ही गलियारे में।
इन ७७ वर्षों में कम पाया ज्यादा खोया है,
अपने देश के सम्मान का,क्यों मन में बीज न बोया है।
झंडा वंदन,मिठाई वितरण, भाषण की औपचारिकता होगी,
राष्ट्रीय त्यौहारों के प्रति क्या ये सच्ची नैतिकता होगी?
क्यों एक दिन हमें मनाना अपने देश के त्यौहारों को,
क्यों दिल से हम मना नहीं सकते,इन राष्ट्रीय त्यौहारों को।
"स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनायें "
सपना परिहार✍🏻
©Sapna Parihar
#IndependenceDay