ए जिंदगी थोडा मुझे भी जीने दे। रूबरु तो खुद से थो | हिंदी कविता

"ए जिंदगी थोडा मुझे भी जीने दे। रूबरु तो खुद से थोडा तो होने दे, मुझे तू खुद में उलझा रहने दे।। साथ चला था, साथ चलूँगा मैं अपनो के, आज तू जरा खुद को खुद के साथ होने दे। आज, मुझे तू खुद में उलझा रहने दे। छोडकर दुनिया की रस्मे, अपनो की सारी कसमें ऐ जिंदगी, मुझे खुद में उलझा रहने दे।। मुझे खुद में उलझा रहने दे।।"

 ए जिंदगी थोडा मुझे भी जीने दे। 
रूबरु तो खुद से थोडा तो होने दे, 
मुझे  तू खुद में उलझा रहने दे।। 

साथ चला था, साथ चलूँगा मैं अपनो के, 
आज तू जरा खुद को खुद के साथ होने दे। 
आज, मुझे तू खुद में उलझा रहने दे। 

छोडकर दुनिया की रस्मे, अपनो की सारी कसमें
ऐ जिंदगी, मुझे खुद में उलझा रहने दे।। 
मुझे खुद में उलझा रहने दे।।

ए जिंदगी थोडा मुझे भी जीने दे। रूबरु तो खुद से थोडा तो होने दे, मुझे तू खुद में उलझा रहने दे।। साथ चला था, साथ चलूँगा मैं अपनो के, आज तू जरा खुद को खुद के साथ होने दे। आज, मुझे तू खुद में उलझा रहने दे। छोडकर दुनिया की रस्मे, अपनो की सारी कसमें ऐ जिंदगी, मुझे खुद में उलझा रहने दे।। मुझे खुद में उलझा रहने दे।।

#Mjhe jine d.

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