पत्ते पर ठहरी बूँद ओस बनकर चमकती है, और वाष्प बनक | हिंदी Poetry Video

""पत्ते पर ठहरी बूँद ओस बनकर चमकती है, और वाष्प बनकर शीघ्र उड़ भी जाती है। पर सागर में गिरी बूँद ग़र सीपी में ठहरती है, तो सच्चे मोती सी चमक जाती है। अटूट विश्वास ही है ये उसका जो सागर में गिरती है, और प्रेम की शीतलता से दमक जाती है।।" ©Anjali Singhal "

"पत्ते पर ठहरी बूँद ओस बनकर चमकती है, और वाष्प बनकर शीघ्र उड़ भी जाती है। पर सागर में गिरी बूँद ग़र सीपी में ठहरती है, तो सच्चे मोती सी चमक जाती है। अटूट विश्वास ही है ये उसका जो सागर में गिरती है, और प्रेम की शीतलता से दमक जाती है।।" ©Anjali Singhal

"पत्ते पर ठहरी बूँद ओस बनकर चमकती है,
और वाष्प बनकर शीघ्र उड़ भी जाती है।

पर सागर में गिरी बूँद ग़र सीपी में ठहरती है,
तो सच्चे मोती सी चमक जाती है।

अटूट विश्वास ही है ये उसका जो सागर में गिरती है,
और प्रेम की शीतलता से दमक जाती है।।"

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