जाति-पाँति से ऊपर नहीं उठ पाया है आदमी; आदमी अब तक | हिंदी विचार

"जाति-पाँति से ऊपर नहीं उठ पाया है आदमी; आदमी अब तक नहीं बन पाया है आदमी। — रत्नेश ©RATNESH KUMAR"

 जाति-पाँति से ऊपर नहीं उठ पाया है आदमी;
आदमी अब तक नहीं बन पाया है आदमी।
                                                — रत्नेश

©RATNESH KUMAR

जाति-पाँति से ऊपर नहीं उठ पाया है आदमी; आदमी अब तक नहीं बन पाया है आदमी। — रत्नेश ©RATNESH KUMAR

#letter

People who shared love close

More like this

Trending Topic