आज मैने उसे फिर देखा.... आज जब मैं अपने अल्फाजों | English Poetry

"आज मैने उसे फिर देखा.... आज जब मैं अपने अल्फाजों को बिखेरने चली तो मैने उसे उन अल्फाजों में फिर देखा.... अपने शब्दों को जोर कहानी लिखना शुरू की तो मैने उसे उस कहानी में फिर देखा... जितना उसे खुद से दूर रखने की कोशिश की उतना उसे पास देखा..... हां मैने उसे आज फिर देखा । आज जब मैं अपनी जुल्फों को खोली तो उसे अपने जुल्फों को सवारते हुए फिर से महसूस किया.... आज मैंने अपने पुराने किताबें खोली तो उसमे रखी गुलाब फिर देखा .... मैने आज उसे फिर से याद किया । हां मैने उसे आज फिर देखा । ©Pushpanjali"

 आज मैने उसे फिर देखा....

आज जब मैं अपने अल्फाजों को बिखेरने चली तो मैने उसे उन अल्फाजों में फिर देखा....
अपने शब्दों को जोर कहानी लिखना शुरू की तो मैने उसे उस कहानी में फिर देखा...
जितना उसे खुद से दूर रखने की कोशिश की उतना उसे पास देखा.....
हां मैने उसे आज फिर देखा ।

आज जब मैं अपनी जुल्फों को खोली तो उसे अपने जुल्फों को सवारते हुए फिर से महसूस किया....
आज मैंने अपने पुराने किताबें खोली तो उसमे रखी गुलाब फिर देखा ....
 मैने आज उसे फिर से याद किया ।
हां मैने उसे आज फिर  देखा ।

©Pushpanjali

आज मैने उसे फिर देखा.... आज जब मैं अपने अल्फाजों को बिखेरने चली तो मैने उसे उन अल्फाजों में फिर देखा.... अपने शब्दों को जोर कहानी लिखना शुरू की तो मैने उसे उस कहानी में फिर देखा... जितना उसे खुद से दूर रखने की कोशिश की उतना उसे पास देखा..... हां मैने उसे आज फिर देखा । आज जब मैं अपनी जुल्फों को खोली तो उसे अपने जुल्फों को सवारते हुए फिर से महसूस किया.... आज मैंने अपने पुराने किताबें खोली तो उसमे रखी गुलाब फिर देखा .... मैने आज उसे फिर से याद किया । हां मैने उसे आज फिर देखा । ©Pushpanjali

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