कभी कभी शाम ऐसे ढलती है कि जैसे घूंघट उतर रहा है | हिंदी Shayari

"कभी कभी शाम ऐसे ढलती है कि जैसे घूंघट उतर रहा है । तुम्हारे सीने से उठता धुआँ हमारे दिल से गुजर रहा है । © Ali zardari"

 कभी कभी शाम ऐसे ढलती है 
कि जैसे घूंघट उतर रहा है ।

तुम्हारे सीने से उठता धुआँ
हमारे दिल से गुजर रहा है ।

© Ali zardari

कभी कभी शाम ऐसे ढलती है कि जैसे घूंघट उतर रहा है । तुम्हारे सीने से उठता धुआँ हमारे दिल से गुजर रहा है । © Ali zardari

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