White कुछ और था कुछ और हूं मैं बाहर चेहरा खामोश | हिंदी कविता

"White कुछ और था कुछ और हूं मैं बाहर चेहरा खामोश अंदर से मचा हुआ शोर हूं मैं जिस्मानी प्यास का आदि लुटेरा नहिं राधा श्याम के प्रेम का दौर हूं मैं कसम खा कर करो सची दलील मेरी मैं मान लूंगा के चोर हूं मैं ©khanpuri write"

 White कुछ और था 
कुछ और हूं मैं 
बाहर चेहरा खामोश 
अंदर से मचा हुआ शोर हूं मैं 
जिस्मानी प्यास का आदि लुटेरा नहिं 
राधा श्याम के प्रेम का दौर हूं मैं 
कसम खा कर करो सची दलील मेरी 
मैं मान लूंगा के चोर हूं मैं

©khanpuri write

White कुछ और था कुछ और हूं मैं बाहर चेहरा खामोश अंदर से मचा हुआ शोर हूं मैं जिस्मानी प्यास का आदि लुटेरा नहिं राधा श्याम के प्रेम का दौर हूं मैं कसम खा कर करो सची दलील मेरी मैं मान लूंगा के चोर हूं मैं ©khanpuri write

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