शायद, कभी न हो वक़्त ये दुबारा,
न कहीं हम बदल जाएं मन बदले तुम्हारा/
ये शमां ,ये परवाना, ये मिलने का बहाना,
तू लग जा गले अब कैसा लजाना/
कहीं थम न जाए सबकुछ इम्तिहान में,
हम हो जाएं न गुम कहीं,तुम खो जाओ जहान में//
©चंचल 'चमन'
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