चाँद क्या भला आसमान में चलता हैं
मैंने मर्तबा कई बार देखा. सागर की लहरों पर तैरता हैं
लड़खड़ाते, गिर गए को शांनता देते हैं लोग की सब चलता हैं
शांत दिल बेशांत होकर ओर जोरों से मचलता हैं
फिर भी मान लेता हुँ चलो की जो भी हैं सब चलता हैं
पर तेरे शहर में तेरा दीदार ना होना बडा खलता हैं
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©Pavan Yadav