सब वक़्त के पानी के संग चुपचाप बहने दीजिये। कुछ ज़ख | English Video

सब वक़्त के पानी के संग चुपचाप बहने दीजिये।
कुछ ज़ख्म गहरे हैं अगर, गहरे ही रहने दीजिये।
बदलेंगे परदे आँखों के तो नज़र भी बदलेगी तब,
अभी खामोशियों का दौर है, खामोश रहने दीजिये।

है फ़ासलों को जिद अगर, तो खुद ही कम हो जायेंगे।
इन वक़्त की शाखों पे मीठे फल कभी तो आयेंगे।
जिसको है कहना जो, उसे चुपचाप कहने दीजिये।

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