क्या आपने कभी अपने किसी दोस्त को गुस्से के कुछ बुरा कहा है, कहा हीं होगा, हम सबने कभी न कभी अपने किसी दोस्त को बुरा भला कहा है, और कहना शायद गलत भी नहीं है, क्योंकि हमारी एसी उम्मीद भी होती है की हमारे दोस्त हमे समझेंगे, जब हम अपने आपे से बाहर होते हैं, पर क्या हर चीज के दायरे होना ज़रूरी नहीं है? क्या आप गुस्से में किसी को ऐसा कुछ कह सकते हैं, जिससे उसे अंदर से चोट लगे, ऐसा कुछ जिससे उसकी आत्मा पर चोट लगे, ऐसा कुछ जो वो कभी भी भूल न पाए, क्या आप ऐसा कुछ कह सकते हैं? भले हीं आपका वो कितना अच्छा दोस्त हो, क्या आप कह सकते हैं? आप शायद जब आपका गुस्सा कम होगा, आप उनसे माफी भी मांग लेंगे, ये कहकर की वो बातें अपने दिल पर न लें, पर क्या कही हुई बातें वापस ली जा सकती हैं,
दुनिया में ऐसे कई लोग होंगे जो आपको पसंद नहीं करते होंगे, और आपका भला नहीं चाहते होंगे, और शायद आपका भला बुरा उन लोगों के वजह से तय ना भी हो,
पर ये जो आपके दोस्त हैं, ये आपका बुरा तो नहीं चाहते, ना हीं आपको कुछ कह सकेंगे, ये शायद आपका बुरा चाहने वालों से भी खौफनाक हों क्योंकि आपके रूखे शब्दों के बाणों ने जो उनकी आत्मा को छलनी किया है, जो आंसू इन बाणों से निकले हैं, क्या पता यहीं आपके पतन का कारण बन जाए!
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