उसके चेहरे पर खुशी थी
सुबह की पहली किरणें गाँव में प्रवेश कर रही थीं। पक्षी मधुर स्वर में गा रहे थे। एक छोटी सी झोपड़ी में, रीमा अपनी बूढ़ी दादी के साथ सो रही थी। धीरे-धीरे उसकी आँखें खुलीं और उसने देखा कि दादी पहले से ही जाग चुकी हैं और चूल्हे पर चाय बना रही हैं। रीमा मुस्कुराई और दादी के पास जाकर बैठ गई।
"दादी, आज तुम्हारा चेहरा इतना खुश क्यों दिख रहा है?" रीमा ने पूछा।
दादी ने रीमा का हाथ सहलाते हुए कहा, "बेटा, आज मेरा जन्मदिन है।"
रीमा के चेहरे पर भी खुशी आ गई। उसने दादी को गले लगाया और कहा, "दादी, जन्मदिन की बहुत-बहुत शुभकामनाएं! मैं तुम्हारे लिए क्या उपहार लाऊं?"
दादी ने कहा, "बेटा, मुझे कोई उपहार नहीं चाहिए। बस तू मेरे साथ रहो, यही मेरे लिए सबसे बड़ा उपहार होगा।"
रीमा ने दादी को वादा किया कि वह हमेशा उनके साथ रहेगी। उन्होंने सारा दिन साथ में बिताया। रीमा ने दादी के लिए उनकी पसंदीदा खीर बनाई और उन्होंने मिलकर खीर खाई। उन्होंने पुरानी कहानियां सुनाईं और हंसी-मजाक किया।
शाम को, जब रीमा सोने जा रही थी, तो उसने दादी से पूछा, "दादी, तुम इतनी खुश कैसे रहती हो?"
दादी ने कहा, "बेटा, मैं खुश रहती हूं क्योंकि मेरे पास तू है। तू मेरे जीवन की सबसे बड़ी खुशी है।"
रीमा दादी के प्यार से भर गई। उसने दादी को गले लगाया और कहा, "दादी, मैं तुम्हें बहुत प्यार करती हूं।"
उस रात, रीमा सो गई और उसके चेहरे पर भी खुशी थी। क्योंकि उसे पता था कि उसके पास उसकी दादी है, जो उससे बहुत प्यार करती हैं।
कहानी का सार:
यह कहानी एक दादी और उसकी पोती के प्यार के बारे में है। दादी का जन्मदिन है और पोती उनके लिए कुछ खास करना चाहती है। दादी को पोती के साथ रहना ही सबसे बड़ा उपहार लगता है। कहानी का अंत खुशी के माहौल में होता है, जब पोती को पता चलता है कि उसके पास उसकी दादी है, जो उससे बहुत प्यार करती हैं।
कहानी में निहित शिक्षा:
प्यार सबसे बड़ा उपहार है।
अपने बुजुर्गों का सम्मान करें और उनके साथ समय बिताएं।
छोटी-छोटी चीजें भी खुशी ला सकती हैं।
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©Daroga Chaudhary
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