" ये चुप्पी(खामोशी) भी...
न जाने क्या कुछ कह जाती हैं,
दिल कोलाहल कर जाती हैं!
अधर (होंठ) जो ना कुछ कह पाती हैं,
चक्षु(आखें) वो बतलाती हैं!
ये चुप्पी भी न जाने क्या कुछ कह जाती हैं.॥
-सिंह _साहेब
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ये चुप्पी(खामोशी) भी...
न जाने क्या कुछ कह जाती हैं,
दिल कोलाहल कर जाती हैं!
अधर (होंठ) जो ना कुछ कह पाती हैं,
चक्षु(आखें) वो बतलाती हैं!
ये चुप्पी भी न जाने क्या कुछ कह जाती हैं.॥
-सिंह _साहेब