बड़े होने की जिद में अपना बचपना छोड़ आए।
चंद पैसों के खातिर हम अपना घर छोड़ आए।
जिया था जो बचपना गांव में वह दौर छोड़ आए।
अब हम बड़े हो गए पैसा भी कमा पाते हैं।
अपने ही गांव में हम मेहमान बन कर जाते हैं।
बचपन वाला सुकून अब जवानी में कहां पाते हैं
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