सर्द हवाएं भी जिस्म पर बेअसर हो जाती हैं, ज़िम्मेद | हिंदी शायरी

"सर्द हवाएं भी जिस्म पर बेअसर हो जाती हैं, ज़िम्मेदारियों का लिबास पहन कर तो देखिए। बांटने की सियासत भी नाकाम हो जाती हैं, इंसानियत का चिराग़ जला कर तो देखिए।"

 सर्द हवाएं भी जिस्म पर बेअसर हो जाती हैं,
ज़िम्मेदारियों का लिबास पहन कर तो देखिए।

बांटने की सियासत भी नाकाम हो जाती हैं,
इंसानियत का चिराग़ जला कर तो देखिए।

सर्द हवाएं भी जिस्म पर बेअसर हो जाती हैं, ज़िम्मेदारियों का लिबास पहन कर तो देखिए। बांटने की सियासत भी नाकाम हो जाती हैं, इंसानियत का चिराग़ जला कर तो देखिए।

इंसानियत का चिराग़ 🙂 @Satyam Bhushan Shreeya Dhapola @Internet Jockey @Poonam bagadia "punit" @Mukabbir Ahmad

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